हम सभी के मन में एक दिन आर्थिक आज़ादी हासिल करने की तमन्ना जरूर रही है। चाहे आज की तेज़ी से बदलती दुनिया हो या भविष्य की अनिश्चितताएं, धन कमाने का विज्ञान हमेशा प्रासंगिक रहा है। ऐसी ही सोच के साथ वॉलस डी. वॉटल्स ने 1910 में “द साइंस ऑफ गेटिंग रिच” नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अमीर होना मात्र भाग्य या कड़ी मेहनत का नतीजा नहीं है, बल्कि एक निश्चित वैज्ञानिक प्रक्रिया है। USA Today ने भी लिखा है कि पुस्तक 17 छोटे अध्यायों में विभक्त है जो मानसिक बाधाओं को दूर करने और प्रतिस्पर्धा की बजाय सृजन (रचनात्मक कार्य) के ज़रिये धन आकर्षित करने का रास्ता दिखाती हैen.wikipedia.org।

वॉटल्स के सिद्धांतों ने समय के साथ लोकप्रियता भी प्राप्त की है। 2006 में आई चर्चित फिल्म द सीक्रेट की लेखिका रोंडा बायरन ने बताया कि उन्होंने वॉटल्स की किताब पढ़कर “द सीक्रेट की झलक” पाई और यह उनके दिल में “शरीर में आग सी जल गई”en.wikipedia.org। 2007 में Penguin ने इस पुस्तक का पुनः प्रकाशन किया, पहली बार 75,000 प्रतियाँ छापी गईंen.wikipedia.org, जो इसकी बढ़ती मांग का सूचक है। आज भी इस पुस्तक को जानने वालों की कमी नहीं है – यह सफलता की कई सूची में शामिल है और अनेक वेबसाइटों में संदर्भित है।
इस ब्लॉग में हम “द साइंस ऑफ गेटिंग रिच” के प्रत्येक अध्याय का सार देंगे, किताब के प्रमुख उद्धरणों की व्याख्या करेंगे, और जानेंगे कि ये विचार कैसे आज के पाठकों के लिए प्रासंगिक हैं। साथ ही वॉलस वॉटल्स के जीवन और अन्य महत्वपूर्ण रचनाओं का भी संक्षिप्त परिचय देंगे।
अध्याय-दर-अध्याय सारांश
अध्याय 1: अमीर बनने का अधिकार – वॉटल्स कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं पहुँच सकता जब तक उसके पास पर्याप्त धन न होgutenberg.org। जीवन का उद्देश्य है निरंतर विकास, और विकास के लिए संसाधनों की आवश्यकता होती है। इसलिए हर मनुष्य का अधिकार है कि वह अपनी मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास के लिए सभी संसाधन हासिल करे – दूसरे शब्दों में, अमीर बनने का अधिकार रखता हैgutenberg.org। वह कहते हैं कि प्रकृति का उद्देश्य जीवन का विस्तार है; जो व्यक्ति पूरी क्षमता से जीवन जीना चाहता है, उसे धन की सीमितता स्वीकार नहीं करनी चाहिए। जो मनुष्य बिना धन के सबकुछ हासिल करने का प्रयास करता है, वह अधूरा जीवन जीता है।
अध्याय 2: अमीर बनने का विज्ञान है – वॉटल्स स्पष्ट करते हैं कि अमीर बनने में भी एक सटीक विज्ञान है, बिलकुल बीजगणित की तरह नियमबद्धgutenberg.org। कुछ नियमों को सीखकर और पालन करके कोई भी व्यक्ति गणितीय निश्चितता (mathematical certainty) से अमीर बन सकता हैgutenberg.org। उनकी दृष्टि में, जो भी व्यक्ति कार्यों को “निश्चित तरीके” से करता है, चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, अमीर हो जाएगाgutenberg.orggutenberg.org। वे यह भी बताते हैं कि अमीर बनना केवल माहौल या प्रतिभा की बात नहीं है, क्योंकि अक्सर दोनों परिस्थितियों वाले लोग एक जैसे होते हैं, लेकिन कुछ लोग विशिष्ट सोच और तरीकों से ही अमीर बन जाते हैंgutenberg.orggutenberg.org। परिणामस्वरूप, धन अर्जित करने का काम एक विज्ञान बन जाता है जिसकी विधि सीखा जा सकता हैgutenberg.org।
अध्याय 3: अवसर पराधीन नहीं है – इस अध्याय में वॉटल्स कहते हैं कि किसी को अमीर होने से रोका नहीं गया है सिर्फ इसलिए कि अवसर छीन लिए गए या संपत्ति केवल कुछ लोगों के पास सीमित है। उदाहरण के लिए, भले ही बड़े रेलमार्ग पहले से ही अन्यायपूर्ण रूप से नियंत्रित हों, लेकिन नए उद्योग (जैसे विद्युत रेल या वायु परिवहन) के अवसर खुलते रहते हैंgutenberg.org। अगर आप वर्तमान जॉब (जैसे स्टील ट्रस्ट में काम करने वाला) से संतुष्ट नहीं हैं, तो वॉटल्स कहते हैं कि आप निश्चित तरीके से काम करके अधिक सम्भावनाओं (जैसे खेती) की ओर बढ़ सकते हैंgutenberg.org। विश्व भर में विभिन्न क्षेत्रों में लगातार प्रगति हो रही है – आज अमेरिका में कृषि को पहले के मुकाबले ज़्यादा अवसर मिल रहा हैgutenberg.org।
वॉटल्स का मानना है कि धन की आपूर्ति कभी ख़त्म नहीं होती; “धन की कमी से कोई निर्धन नहीं रहता; सभी के लिए पर्याप्त है”gutenberg.org। जो लोग सोचते हैं कि स्थिति बिगड़ने वाली है या बाज़ार सूख जाएगा, उनसे उनका ध्यान हटाने के लिए, वॉटल्स कहता है कि दुनिया ईश्वर की ओर बढ़ रही है ना कि विपरीत दिशा मेंgutenberg.orggutenberg.org। यदि आम लोग वॉटल्स के बताए पथ पर चलें – सकारात्मक विश्वास, दृढ़ संकल्प, और आगे बढ़ने की सोच के साथ – तो न कोई सरकार उन्हें रोकेगी, न प्रतिस्पर्धात्मक प्रणालीgutenberg.orggutenberg.org।
अध्याय 4: अमीर बनने का पहला सिद्धांत – वॉटल्स बताते हैं कि विचार ही वह शक्ति है जो निराकार (Formless) पदार्थ से मूर्त धन उत्पन्न करती हैgutenberg.org। उन्होंने समझाया कि ब्रह्मांड में जो भी हम देखते हैं, वह एक मूल विचारमूलक पदार्थ (Thinking Substance) की व्याख्या है। जैसे ब्रह्मांड के तारों ने जिस गति की कल्पना मन में रखी, उससे पदार्थ ने ग्रह बनाकर गति की, वैसे ही हमारे विचार उनके मूल पदार्थ में रूप ले सकते हैंgutenberg.org। संक्षेप में उनके शब्दों में: “एक विचार, जब उस मूलभूत पदार्थ में डाला जाता है, तो वह विचार जो रूप दर्शाता है, वह रूप ही बन जाता है”gutenberg.org। मनुष्य विचार कर सकता है, और उचित तरीके से करता है, तो वह अपने विचारों को वास्तविकता में बदलवा सकता हैgutenberg.org। पहले मनुष्य केवल मौजूदा चीज़ों को रूप देता आया है, पर वॉटल्स के मुताबिक अब हम सीधे मूल पदार्थ में अपना वैसा ही रूप रच सकते हैं जैसा हमने कल्पना की हो।
अध्याय 5: जीवन की वृध्दि (Increasing Life) – वॉटल्स ने एक प्रगतिशील जीवन-दर्शन पेश किया। उनका कहना है कि धरती पर हर बुद्धिमान पदार्थ की निहित इच्छा है अपना जीवन विस्तार करना। जैसे बीज मिट्टी में गिरते ही सौ बीज बनाता है, वैसे ही सभी जीव निरंतर विकास की ओर अग्रसर हैंgutenberg.org। इंसान अधिक जानने, अधिक करने और अधिक बनने के लिए हमेशा और चाहिए। पर ऐसा जीवन जीने के लिए हमें और संसाधन चाहिएgutenberg.org। इसीलिए धन की चाह कोई गलत बात नहीं, बल्कि जीवन को और समृद्ध बनाने की चाह हैgutenberg.org। वॉटल्स लिखते हैं कि ईश्वर (संघर्षशील जगत की संजीवित शक्ति) चाहता है कि आप अमीर बनें, क्योंकि तब वह आपके द्वारा और ज़्यादा स्वयं को व्यक्त कर सकेगाgutenberg.org। सरल शब्दों में: “ब्रह्मांड में वह सब कुछ आपके पक्ष में है; प्रकृति आपकी योजनाओं की हिमायत करती है”gutenberg.org।
हालांकि वॉटल्स यह भी ध्यान दिलाते हैं कि अमीरी का उद्देश्य भोग-विलास ही नहीं होना चाहिए। अमीर बनना अतार्किक उत्तेजनाओं को भरपेट करना नहीं, बल्कि पूर्ण जीवन जीने का जरिया होना चाहिए – शरीर, मन, और आत्मा की हर उपयुक्त ज़रूरत को पूरा करनाgutenberg.org। उनकी शिक्षा है कि जब आप ज़िंदगी के सभी पहलुओं (शारीरिक, मानसिक, आत्मिक) को संतुलित विकास दें, तभी आप सच में अमीर और पूर्ण जीवन जी सकेंगे।
अध्याय 6: धन आपके पास कैसे आएंगे – इस अध्याय में उन्होंने व्यवहारिक दृष्टिकोण बताया। वॉटल्स कहते हैं कि हमें अपने लेन-देन में छल या ग़लत कार्य करने की ज़रूरत नहीं है; बल्कि हर किसी को उससे ज़्यादा उपयोगी मूल्य दें जितना हम उससे नकदी में लेते हैंgutenberg.org। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने एक कहानी सुनाई: एक चित्र मालिक बहुतेरे मूल्य का चित्र आर्कटिक के एक इस्किमो को बेच देता है, जिससे वह झाँसे में है क्योंकि उसका उस चित्र में कोई उपयोग नहीं हैgutenberg.org। अगर उसने मुसल्लेदार बंदूक दी होती तो इस्किमो को असली फायदा मिलता, वह स्वतंत्र हो जाताgutenberg.org।
वॉटल्स ने बताया कि अगर आप प्रतिस्पर्धात्मक मानसिकता छोड़ सृजनात्मक स्तर पर चले आते हैं, तो आप कारोबार में ध्यान रख सकते हैं: क्या आप जो बेच रहे हैं, वह ग्राहक के जीवन में उसकी निवेश राशि से अधिक वृद्धि करता है? अगर नहीं, तो वह काम न करेंgutenberg.org। सृजनात्मक व्यापारी वह होगा जो दिल से सेवा देता है। साथ ही, उन्होंने उद्यमियों को सलाह दी कि वे अपने कर्मचारियों के प्रति भी प्रगति की भावना रखें, ताकि हर व्यक्ति थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ सकेgutenberg.org।
वॉटल्स बताते हैं कि अमीर बनना जादू नहीं है – नए उपक्रम या उत्पाद अपने आप नहीं घटेगा। अगर आप सिलाई मशीन चाहते हैं, तो उसे धरती पर स्वयं बनते हुए नहीं देखेंगे। लेकिन आप उसी काल्पनिक चित्र को दृढ़ विश्वास से मन में रखें कि “यह मशीन बन रही है, या आ रही है”gutenberg.org। इस तरह का दृढ़विश्वास ही उस वस्तु को बनवाने वाले संसाधनों को आपके पास खींचेगा।
अध्याय 7: कृतज्ञता – इस अध्याय का मूल मंत्र है “कृतज्ञता”. वॉटल्स कहते हैं कि हमें उस निराकार बुद्धिमत्ता (ईश्वर) से घनिष्ठ संबंध बनाना चाहिए, जिसकी सभी चीज़ें उत्पत्ति हैं। ऐसा करने के लिए सिर्फ़ एक उपाय है – गहरी और सार्थक कृतज्ञता।
उनकी शिक्षाओं के अनुसार, जितना अधिक हम ईश्वर द्वारा मिली भेंटों के लिए कृतज्ञ होंगे, उतना ही ज़्यादा और भेंटें हमें मिलती जाएंगीgutenberg.org। सरलतम भाषा में: “जब भी कोई अच्छी चीज़ हमें मिलती है, तो हम जितना दिल से धन्यवाद करते हैं, उतनी अधिक अच्छी चीज़ें और शीघ्र हमारे पास आने लगती हैं”gutenberg.org। कृतज्ञ मनुष्य अपने स्रोत (विश्व की चेतना) के करीब रहता है और नकारात्मक प्रतिस्पर्धात्मक सोच से बचता हैgutenberg.org। वॉटल्स इसे कृतज्ञता का नियम बताते हैं, जिसमें “क्रिया और प्रतिक्रिया हमेशा बराबर और विपरीत दिशा में होती हैं”gutenberg.org। जैसा कि बाइबिल में कहा गया है, “परमात्मा के निकट आओ, और वह तुम्हारे निकट आएगा”gutenberg.org।
जब आपकी कृतज्ञता स्थिर और गहरी होगी, तो वह सक्रिया सामूहिक चेतना तक प्रकट होगी और वह आपके प्रति लगातार अनुकूल बातें भेजती जाएगीgutenberg.org। वॉटल्स ने यहाँ तक कहा कि यीशु हमेशा यह कृतज्ञता व्यक्त करते थे। उनसे सीखते हुए, हमें भी नश्वर संसार की सीमितता में नहीं उलझना बल्कि हर दिन कृतज्ञ भावना बनाए रखनी चाहिए।
अध्याय 8: निश्चित तरीके से सोचना – अमीर बनने का अगला चरण है स्पष्ट लक्ष्य और स्थिर विचार। वॉटल्स के अनुसार, आपको सबसे पहले यह जानना होगा कि आप क्या चाहते हैं और उसका स्पष्ट इमेज अपने मन में बनानी होगीgutenberg.org। यदि आपकी इच्छा अस्पष्ट या अधूरी है, तो आप उस सोच को पदार्थ में ट्रांसमिट नहीं कर पाएंगेgutenberg.org। जैसे दूरदर्शन संदेश भेजते समय शब्द को स्पष्ट रखते हैं, वैसे ही जब आप ब्रह्मांड को अपना लक्ष्य बताते हैं, तो वह भी स्पष्ट होनी चाहिएgutenberg.org।
उनकी सलाह है कि हर दिन अपनी आकांक्षा की जीवंत तस्वीर देखें – जैसे एक नाविक जहाज को मंज़िल की ओर ले जाता है, वैसे ही अपने लक्ष्य को कभी न भूलेंgutenberg.org। विशेष ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है – जब आप वाकई कुछ चाहते हैं, तो आपका मन स्वाभाविक रूप से उसी पर टिक जाता है। परंतु जरूरी है कि आपकी इच्छा इतनी तीव्र हो कि वह आपके विचारों को उसी ओर खींचे रखेgutenberg.org। आखिर में, जितना स्पष्ट और जीवंत आपका लक्ष्य होगा, उतनी ही तेजी से आपका मन उसे प्राप्त करने के लिए दिशा बदलेगाgutenberg.org।
अध्याय 9: इच्छाशक्ति (Will) का प्रयोग – इस अध्याय में वॉटल्स सही दिशा में इच्छाशक्ति के प्रयोग की बात करते हैं। उनका मानना है कि अमीर बनने के लिए आपको अपनी इच्छाशक्ति सिर्फ अपने ऊपर ही लगानी चाहिएgutenberg.org। किसी अन्य व्यक्ति को बाध्य करने का कोई औचित्य नहीं – जो शारीरिक बल से डरपोक बना सकता है, मानसिक बल से ऐसा ही गलत हैgutenberg.org।
इसलिए इच्छाशक्ति का उद्देश्य है कि आप स्वयं को सही राह पर रखें। जब आपको पता हो कि क्या करना है, तो अपनी इच्छा का प्रयोग स्वयं को सही सोच-विचार और सही कार्य करने पर मजबूर करने में करेंgutenberg.org। दूसरे शब्दों में, “अपने विचार और कर्मों को सतर्क और सकारात्मक बनाए रखने की क्षमता के लिए इच्छाशक्ति का उपयोग करो”gutenberg.org। बाहरी दुनिया पर या किसी और पर अपनी इच्छा लागू करने की कोशिश केवल खोखली होगी।
अध्याय 10: इच्छाशक्ति का और प्रयोग – वॉटल्स ने आगे समझाया कि हमें हर संभव रूप से गरीबी की मानसिकता से हटना है और सीधे अमीरी पर ध्यान केंद्रित करना है। अतः न पिछली आर्थिक परेशानियों के बारे में सोचें, न गरीबी की कहानियाँ दोहराएँ, न नकारात्मक भविष्यवाणियाँ पढ़ेंgutenberg.orggutenberg.org। वे कहते हैं, "जिसे मृत हो चुकी चीज़ें पीछे छोड़नी हैं, उसी तरह गरीबी को पीछे छोड़ो"gutenberg.org। दुनिया भविष्य में ख़राब होने की बजाय बेहतर होने जा रही है; इसलिए जो कुछ भी पुराना बीत चुका है, उस पर ध्यान देने से बस प्रगति रुक जाएगीgutenberg.org।
इसके बजाय, हमें अपने मन को केवल उन्नति की ओर मोड़ना है। वॉटल्स कहते हैं कि “दुनिया जो धन सम्पन्न हो रही है, उसके बारे में सोचो, न कि गरीबी के बारे में”gutenberg.org। हर interaction में दूसरों को प्रेरित करना है कि आप एक उन्नति पुरुष (Advancing Man) हैं जो उनके जीवन में बढ़ोतरी ला रहा हैgutenberg.org। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि धन की चाह न तो स्वयं से या दूसरों से छीनी हुई चीज है और न ही कोई हीन सोच – यह जीवन को पूर्ण रूप से जीने की साधना है और इसे हासिल करना सबसे उपयुक्त लक्ष्य हैgutenberg.org। प्रतिस्पर्धा की मानसिकता का त्याग करके क्रिएटिव मानसिकता अपनाना ही अमीरी की ओर सीधा रास्ता है।
अध्याय 11: निश्चित तरीके से कर्म करना – अब वॉटल्स बताते हैं कि यद्यपि विचार रचनात्मक शक्ति है, लेकिन विचार के साथ लगातार क्रियात्मक प्रयास भी ज़रूरी हैgutenberg.org। केवल सोचने भर से अमीरी नहीं मिलेगी। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए समझाया कि आप सोचे ही नहीं कि पहाड़ के भीतर सोने को अपनी ओर खींचना है, उसे खुद निकालना होगा; वैसा ही, आप धन को आकर्षित कर सकते हैं, लेकिन उसे पाने के लिए आपका कर्म भी चलना चाहिएgutenberg.org।
वॉटल्स का संदेश है: जब सब कुछ व्यवस्थित तरीके से आपके पक्ष में काम कर रहा हो, तब भी आपकी व्यक्तिगत क्रियाएँ तैयार होनी चाहिए ताकि जब धन आपके पास आए तो आप उसे सही तरीके से प्राप्त कर सकें। आपको यह सोचकर नहीं लेना है कि आपको कोई दान दे रहा है, बल्कि बराबरी का लेन-देन करना है – हर व्यक्ति को आप उससे भेदे गए नकद मूल्य से ज़्यादा उपयोग मूल्य देंgutenberg.org।
उनके अनुसार वैज्ञानिक तरीके से धन आकर्षित करना है: एक स्पष्ट और सटीक मानसिक छवि बनाकर रखो कि आप क्या चाहते हो; इसके लिए विश्वास और दृढ़ संकल्प बनाए रखेंgutenberg.org। किसी रहस्यमय तरीके से विचारों को प्रक्षेपित करने की कोई जरूरत नहीं है। आपकी “विचार-क्रिया” प्रकिया स्वयं नियमित रूप से चल पड़ेगी जब आपका इमेजिनेशन, विश्वास और कृतज्ञता स्थिर रूप से संलग्न होंgutenberg.org। इसके बाद आपको बस उस दृष्टि को पकड़े रहना है और अपने कर्मों को उसी अनुसार करना हैgutenberg.org।
अध्याय 12: कुशल कार्य (Efficient Action) – यह अध्याय बताता है कि वर्तमान में प्राप्त अवसरों का पूरा लाभ उठाएं। वॉटल्स कहते हैं कि जहाँ आप हैं, वहाँ के सभी काम को पूरा और श्रेष्ठ तरीके से करेंgutenberg.org। विश्व तब ही आगे बढ़ेगा, जब हर व्यक्ति अपने दायित्व की सीमाओं से बढ़कर कुछ करेgutenberg.org। जो लोग अपने वर्तमान कर्तव्यों को पूरा करने में भी कमी रखते हैं, वे समाज की प्रगति में बोझ बनते हैंgutenberg.org। अतः आपको दिन-प्रतिदिन सफल दिन लेकर चलना है – यदि कोई दिन बर्बाद हो जाए, तो उस दिन अमीरी की दिशा में प्रगति नहीं हुईgutenberg.org।
वॉटल्स ने समझाया कि आप कभी नहीं जान सकते कि आपके छोटे से काम के पीछे कितने अवसर छिपे हैं। शायद कोई क्षण जो आप आज पूरा करेंगे, वह कल बहुत बड़े सौदे का रास्ता खोल दे। अतः हर दिन “आज के दिन में जो कुछ संभव हो, वह सब करो”gutenberg.org। साथ ही उन्होंने सचेत रहने की सलाह दी कि खुद को अधिभार न लें – आज का काम आज ही हो जाने दें, कल का काम कल के लिए छोड़ दें। हर कार्य को पूरी ईमानदारी और कुशलता से करने में ही सफलता की चाबी है।
अध्याय 13: सही व्यवसाय चुनना – वॉटल्स बताते हैं कि किसी व्यवसाय में सफलता का हिस्सा हमारी स्वाभाविक योग्यता पर भी निर्भर करता है, परन्तु केवल यही काफी नहीं हैgutenberg.org। अगर आपके पास संगीत प्रतिभा नहीं है, तो संगीत शिक्षक बनना आसान नहीं है। फिर भी प्रतिभा केवल उपकरण है; सबसे ज़रूरी है उस उपकरण (योग्यता) का सही इस्तेमालgutenberg.org। किसी को भी शुरूआत में कच्ची प्रतिभा के बावजूद सफलता मिल सकती है, बशर्ते वह लगातार अभ्यास और उचित रणनीति अपनाएgutenberg.org।
वॉटल्स कहते हैं कि हम किसी भी काम से अमीर बन सकते हैं – अगर अभी आपकी प्रतिभा कमजोर है, तो उसे विकसित करके मजबूत कीजिएgutenberg.org। फिर भी, सर्वश्रेष्ठ परिणाम वहीं मिलते हैं जहाँ आपकी स्वाभाविक रूचियाँ और क्षमताएँ मजबूत होंgutenberg.orggutenberg.org। सबसे बढ़िया बात यह है कि आप वही कर रहे हों जो करना चाहते हैं, क्योंकि आपकी इच्छा ही आपके भीतर क्षमता का प्रमाण हैgutenberg.org। संक्षेप में उन्होंने कहा: “इच्छा शक्ति ही शक्ति की अभिव्यक्ति है”gutenberg.org। यदि आप वास्तव में कुछ करने की तीव्र इच्छा रखते हैं, तो समझ लीजिए कि उस काम को करने का सामर्थ्य आपके भीतर विद्यमान है – बस उसे विकसित करने की ज़रूरत है।
अध्याय 14: वृद्धि की छाप (The Impression of Increase) – यहाँ वॉटल्स ने वर्षाज्ञान (मानव व्यवहार का विज्ञान) की बात की। चाहे आप अपना व्यवसाय बदलें या न बदलें, वर्तमान में जो भी हैं, उसी में उत्कृष्टता दिखाएं। अपने रोज़मर्रा के कार्यों में वृद्धि की भावना जगाने का प्रयास करेंgutenberg.org।
जब आप लोगों से मिलते हैं, तो उन्हें यह एहसास दें कि आप आगे बढ़ने वाले व्यक्ति हैं और उनके लिए समृद्धि लाने में लगे हैंgutenberg.org। हर इंसान की प्रकृति है कि वह निरंतर वृद्धि चाहता हैgutenberg.org। इसलिए आप हर संवाद में दूसरों के मन में “बढ़त” की भावना डालें कि आप न केवल स्वयं बढ़ रहे हैं, बल्कि बाकी लोगों को भी आगे बढ़ा रहे हैंgutenberg.orggutenberg.org। छोटे-छोटे लेन-देन में भी (जैसे किसी बच्चे को कैंडी बेचते समय) आप इस बात की छाप छोड़ें कि आप उनकी उन्नति में विश्वास रखते हैंgutenberg.org।
अपने विचार में दृढ़ विश्वास रखें कि आप वृद्धि के रास्ते पर हैं, और यही विश्वास आपके हर काम में झलकेगाgutenberg.org। इस तरह आप न केवल अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी समृद्धि उत्पन्न करने वाले रचनात्मक केंद्र बन जाएंगेgutenberg.orggutenberg.org।
अध्याय 15: उन्नतिशील व्यक्ति (The Advancing Man) – पिछले अध्याय के विचार सभी क्षेत्रों पर लागू होते हैं, चाहे आप चिकित्सक हों, शिक्षक हों, व्यवसायी हों या मजदूर। वॉटल्स कहते हैं कि जो व्यक्ति दूसरों को अधिक जीवन-शक्ति देकर उन्हें महसूस करा सकता है, लोग उसके पास आकर्षित होते जाएंगे और वह अमीर होगाgutenberg.org। उदाहरण के लिए, एक चिकित्सक जो खुद को सफल हीलर की छवि में कल्पना करके काम करता है, वह अपनी श्रद्धा और कृतज्ञता से उस काम में सन्निहित ऊर्जाओं को आकर्षित करेगा, और रोगी उसके पास झुंडों में आयेंगेgutenberg.org।
धर्म-क्षेत्र में भी सही संदेश देने वाला पुरोहित चाहिए, जो लोगों को समृद्धि का ज्ञान दे सके। अगर कोई पुजारी स्वंय सशक्त, स्वस्थ और सफल होगा, तो उसके अनुगामी जरूर बढ़ेंगे। यही सत्य शिक्षण चाहिए – अमीरी, स्वास्थ्य, महानता और सच्चे प्रेम के विज्ञान की वाणी जो लोग सुनेंगे, उनका विश्वास जागेगा और वे उदारतापूर्वक सहारा देंगेgutenberg.org।
वॉटल्स ने कहा कि पूरे विश्व में कोच, अध्यापक, डॉक्टर, वकील, व्यवसायी – हर कोई जो “विकास का वाहक” बनता है – वह सफल हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति लगातार इन शिक्षाओं पर चलकर काम करे, तो वह अवश्य अमीर हो जाएगाgutenberg.org। उनकी शब्दावली में, “जीवन की वृद्धि का नियम गुरुत्वाकर्षण के नियम जितना ही निश्चित है; अमीर बनना एक सटीक विज्ञान है”gutenberg.org। यहां तक कि मजदूर भी – आप जहाँ भी हों, बड़े मकसद रखें, स्पष्ट विज़न बनाएं और विश्वासपूर्वक काम करें – अमीर हो सकते हैंgutenberg.org।
अध्याय 16: सावधानियाँ और निष्कर्ष – अंतिम अध्याय में वॉटल्स ने कुछ चेतावनियाँ दी हैं। बहुत लोग मानते हैं कि अमीर बनने का विज्ञान निराधार है क्योंकि धन की आपूर्ति सीमित है या सरकारी-औद्योगिक व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। वॉटल्स इन धाराओं को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि आज भी जो लोग गरीबी में हैं, वे वॉटल्स द्वारा बताई गई सोच और कर्मशैली नहीं अपनातेgutenberg.org। यदि आम लोग भी ‘सृजन के सिद्धांत’ पर चले, तो कोई व्यवस्था उन्हें रोक नहीं पाएगी; हमें बस रचनात्मक स्तर पर ही काम करना हैgutenberg.orggutenberg.org।
वॉटल्स ने जोर देकर कहा कि आपका मनोभाव हमेशा “क्रिएटिव माइंड” में होना चाहिए, यह कभी न समझें कि धन सीमित हैgutenberg.org। यदि आप किसी भी तरह प्रतिस्पर्धात्मक विचारधारा में उलझते हैं, तो तुरंत वापस कृतज्ञता और सकारात्मक विचारों की ओर लौटें। निरंतर अपनी योजनाओं को आज के अच्छे कार्यों पर केन्द्रित रखें, कल की समस्याओं में फँसे नहींgutenberg.org।
सबसे महत्वपूर्ण बात उन्होंने दोहराई: जो कोई इन कानूनों को पूरी ईमानदारी और दृढ़ता से पालन करेगा, वह निश्चित रूप से अमीर हो जाएगाgutenberg.org। जैसा कि गणित में दो गुणा दो हमेशा चार होता है, वैसा ही कानून न्याय का है – यदि आप “अमीरी का विज्ञान” समझकर उसे लागू करें, तो विफल होना असंभव हैgutenberg.org।
प्रेरणादायक उद्धरण
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“कोई भी व्यक्ति अपनी पूर्ण प्रतिभा या आत्मा के विकास की चरम सीमा तक नहीं पहुँच सकता जब तक उसके पास पर्याप्त धन नहीं है”gutenberg.org। वॉटल्स याद दिलाते हैं कि धन हमें वो सारे साधन उपलब्ध कराता है जिनसे हम अपना जीवन पूर्ण रूप से जी सकते हैं।
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“धन की कमी से कोई निर्धन नहीं रहता; सभी के लिए पर्याप्त है”gutenberg.org। यह उद्धरण हमें बताता है कि विश्व में संसाधनों की कोई अभाव-सीमा नहीं है। अवसर हर जगह हैं, बस हमें उन्हें समझदारी से तलाशना है।
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“मनुष्य अपने विचारों से वस्तुएँ बना सकता है, और जब वह अपने विचार को निराकार पदार्थ में उतारता है, तो वह वही वस्तु बना देता है जिसकी उसने कल्पना की थी”gutenberg.org। यानी हम जो स्पष्ट रूप से कल्पना करते हैं, उसे साकार करने की शक्ति हममें है। यह विचाराधारा आधुनिक विज़ुअलाइज़ेशन तकनीक के बिलकुल समान है।
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“ईश्वर चाहता है कि आप अमीर बनें... प्रकृति आपके योजनाओं की हिमायत करती है”gutenberg.org। वॉटल्स का यह कथन हमें याद दिलाता है कि समृद्धि की चाह स्वाभाविक है और ब्रह्मांड में आपके पक्ष में है। अनंत शक्तियाँ आपको आगे बढ़ने में मदद करने को तत्पर हैं।
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“हर व्यक्ति को उसके द्वारा ली गई नकद राशि से अधिक उपयोग मूल्य देना चाहिए; इससे हर कारोबार में विश्व का जीवन बढ़ेगा”gutenberg.org। व्यवसाय में ईमानदारी और मानवीय दृष्टिकोण की बात करते हुए वॉटल्स हमें दिखाते हैं कि सफलता में दूसरों को लाभ पहुँचाना भी शामिल होता है।
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“जिन अच्छी चीज़ों के लिए हम परम सत्ता के प्रति कृतज्ञ होते हैं, उन्हें हमें और जल्दी प्राप्त होता है”gutenberg.org। कृतज्ञता की शक्ति पर यह उद्धरण जोर देता है – जितना हम धन्यवाद देंगे, उतनी ही अधिक सकारात्मक ऊर्जा हमारे पास आयेगी।
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“अनुचित इच्छाओं और अस्पष्ट आकांक्षाओं को भेजकर आप अमीर नहीं बन सकते”gutenberg.org। लक्ष्य को सुस्पष्ट बनाने का महत्त्व बताते हुए वॉटल्स कहते हैं कि सिर्फ अस्पष्ट इच्छा रखना काफी नहीं; उसे स्पष्ट रूप में सोचें और हर दिन उसके बारे में सोचें।
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“अमीरी पाने के लिए, इच्छाशक्ति का उपयोग केवल अपने ऊपर करें... स्वयं को सही समय पर सही चीज़ें सोचने और करने के लिए मजबूर करो”gutenberg.org। दूसरे पर नियंत्रण करने की बजाय अपने विचारों और कर्मों को दुरुस्त रखने की बात बताते हुए वॉटल्स ने इच्छाशक्ति का सही उपयोग समझाया है।
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“जब आप जानते हैं कि आप बढ़ते हुए समृद्धि के मार्ग पर हैं, तो अपने हर कार्य को इस दृढ़ विश्वास के साथ करो कि तुम सचमुच प्रगति कर रहे हो और दूसरों को भी बढ़ा रहे हो”gutenberg.orggutenberg.org। आत्म-प्रेरणा का यह उद्धरण हमें सिखाता है कि सकारात्मक सोच का प्रभाव सिर्फ हम पर ही नहीं, आसपास के लोगों पर भी पड़ता है।
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“जो भी इन सिद्धांतों को लगातार और ईमानदारी से पालन करेगा, वह अमीर हो जाएगा। जीवन की वृद्धि का नियम गुरुत्वाकर्षण के नियम जितना ही निश्चित है”gutenberg.org। वॉटल्स का यह आत्मविश्वासी वचन बताता है कि उनके बताए हुए तरीके में चलने वालों के लिए असफलता की कोई गुंजाइश नहीं है।
आधुनिक युग में उपयोगिता
वॉटल्स के सिद्धांत 20वीं सदी के New Thought आंदोलन का हिस्सा हैं, लेकिन आज के आत्म-सुधार (self-help) और उद्यमिता के क्षेत्र में भी इन्हें देखा जाता है। आइए देखें कि कैसे इन विचारों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अपनाया जा सकता है:
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सकारात्मक मानसिकता (Positive Mindset): वॉटल्स ने सकारात्मक सोच और कृतज्ञता पर जोर दिया। आज के समय में भी “अभिप्रेरणा ग्रन्थ” और मनोविज्ञानकार इसी बात को कहते हैं कि आपकी सोच ही आपकी सीमाएँ तय करती है। उदाहरण के लिए, The Secret और कई वेबिनार सकारात्मक सोच पर आधारित हैं, ठीक वैसे ही जैसे वॉटल्स कहता है कि मानसिक बाधाओं को दूर करेंen.wikipedia.org।
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मूल्य-सृजन (Value Creation): वॉटल्स की सलाह थी कि हर लेन-देन में दूसरे को अधिक लाभ देंgutenberg.org। आधुनिक व्यापार में भी ग्राहक संतुष्टि और मूल्य-सृजन पर बल दिया जाता है। कोई भी सफल व्यवसायी समझता है कि ग्राहक की जरूरतों को पूरा करने में ही दीर्घकालिक समृद्धि है। वॉटल्स की यह सीख आज भी प्रासंगिक है – जैसे ई-कॉमर्स कंपनियाँ मुफ्त सेवा या एक्स्ट्रा सुविधाएँ देकर लोगों को जोड़ रही हैं।
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दृढ़ लक्ष्य एवं विजन (Clear Vision): वॉटल्स कहते हैं कि सफलता के लिए स्पष्ट लक्ष्य और दृढ़ निश्चय जरूरी हैgutenberg.org। यही बात आज के स्टार्टअप संस्थापकों और लीडरों ने भी कही है – उन्हें विज़न बोर्ड बनाकर अपने लक्ष्यों को बार-बार याद रखने की सलाह होती है। यदि आप अपने लक्ष्य को रोज़ ध्यान में रखते हैं और उसी पर काम करते हैं, तो कदम-कदम पर मार्गदर्शन स्वयं मिल जाएगा, जैसा वॉटल्स ने बताया।
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क्रियात्मकता (Action-oriented): वॉटल्स की “प्रत्येक दिन सब कुछ करें जो किया जा सकता है” की सीखgutenberg.org आज के “लीन-स्टार्टअप” और उत्पादकता (Productivity) सलाहों से मेल खाती है। असफलतापूर्वक योजनाएं बनाने के बजाय, उन्होंने कहा कि आज का कार्य आज ही करें और समय का सदुपयोग करेंgutenberg.org। यही संदेश 21वीं सदी के समय प्रबंधन (Time Management) गुरुओं द्वारा भी दिया जाता है।
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उद्यमिता में “अभ्युदय की छाप” (Impression of Increase): ग्राहकों और सहकर्मियों के साथ व्यवहार में वृद्धि (Growth) की भावना देना आज भी ‘नेतृत्व विकास’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वॉटल्स की सलाह है कि आप हर बातचीत में दूसरों को यह महसूस कराएं कि आप उन्हें आगे बढ़ा रहे हैंgutenberg.org। आज कई संगठनों में “खरीदारों का विकास” या “टीम को प्रोत्साहित करना” जैसे सिद्धांत इसी से मेल खाते हैं।
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वस्तुतः उपलब्धता (Abundance vs Scarcity): वॉटल्स की धारणा है कि समृद्धि की आपूर्ति सीमित नहींgutenberg.org। आधुनिक वैज्ञानिक मनोविज्ञान में भी ‘प्रचुरता मानसिकता’ (Abundance Mindset) की बात होती है, जिसमें माना जाता है कि संसाधन, ग्राहक, और अवसर विपुल हैं। जिस तरह वॉटल्स ने बड़े उदाहरणों (जैसे कृषि, उद्योग) में परिवर्तन की बात की, वैसी ही आज की प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था में भी अवसर की नई धाराएँ बन रही हैं।
वॉटल्स की सोच के अनुरूप, कई लेखक आज भी “अमीर बनो” जैसे गाइड देते हैं। उदाहरण के लिए, Napolean Hill की Think and Grow Rich (1937) उन्हीं धारणाओं पर आधारित है और इसने लाखों को प्रभावित कियाen.wikipedia.org। यही नहीं, Penguin के रीप्रिंट (75,000 प्रतियाँ छपना) से साफ है कि आज भी लोग वॉटल्स की किताब पढ़ना पसंद करते हैंen.wikipedia.org। परिणामस्वरूप, वॉटल्स के बताए सिद्धांत आधुनिक पाठकों को उद्यमिता, व्यक्तिगत विकास, और धन अर्जन के नए दृष्टिकोण देते हैं।
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वॉलस डी. वॉटल्स: जीवन परिचय
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जन्म एवं शिक्षा: वॉलस डेलोइस वॉटल्स का जन्म 1860 में इल्लिनॉय, अमेरिका में हुआ। बचपन में उन्हें औपचारिक शिक्षा बहुत कम मिलीen.wikipedia.org। उन्होंने बताया कि व्यावसायिक दुनिया से उनका तालमेल कम था, लेकिन उनके भीतर रचनात्मक सोच की तीव्र अभिरुचि थीen.wikipedia.org।
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व्यवसाय एवं विचार: वॉटल्स न्यू थॉट आंदोलन से जुड़े रहे, जो सकारात्मक सोच और मानसिक उपचार की धाराओं पर आधारित थाen.wikipedia.orgen.wikipedia.org। उनका मानना था कि ब्रह्मांड की चेतना सकारात्मक मनोवस्थिति से प्रभावित होती है। इसी कारण उन्होंने अपनी किताबों में ‘साइंस (विज्ञान)’ शब्द रखा, ताकि उनके सिद्धांत धर्म और विज्ञान दोनों दृष्टिकोण से स्वीकार्य दिखेंen.wikipedia.org। 1896 में एक सुधारक सम्मेलन में हिस्सा लेकर वे क्रिश्चियन सोशलिज्म (ईसाई समाजवाद) से प्रभावित हुए, और उन्होंने “अ न्यू क्राइस्ट” और “जीसस: द मैन एंड हिज़ वर्क” जैसी पुस्तकें भी लिखीं। बाद में उन्होंने इंडियाना से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में भी चुनाव लड़ाen.wikipedia.org। हालांकि राजनीति की उनकी लड़ाई सफल नहीं रही, पर उनके विचार समय से आगे के थे।
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प्रमुख कृतियाँ: वॉटल्स की सबसे प्रसिद्ध रचना है “द साइंस ऑफ गेटिंग रिच” (1910)en.wikipedia.org। इसके अलावा उन्होंने धन और स्वास्थ्य को लेकर “द साइंस ऑफ बीइंग वेल” (1910) और व्यक्तिगत विकास के लिए “द साइंस ऑफ बीइंग ग्रेट” (1911) जैसी पुस्तकें भी लिखींen.wikipedia.org। ये तीनों किताबें एक त्रयी की तरह हैं जो क्रमशः स्वास्थ्य, धन, और व्यक्तिगत महानता के सिद्धांत समझाती हैं।
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प्रभाव और विरासत: अपनी कार्मिक जीवन के अंतिम वर्षों में वॉटल्स ने काफ़ी धन कमाया और गहरे विश्वास के साथ कार्य कियाen.wikipedia.org। वे 7 फरवरी 1911 को टेनेसी, अमेरिका में स्वर्गवासी हो गए और एलवुड, इंडियाना में दफ़न किए गएen.wikipedia.org। उनके निधन पर पूरे शहर ने उनके सम्मान में दो घंटे के लिए अपने व्यवसाय बंद कर दिए। वॉटल्स आज खुद में भले ही कुछ अज्ञात हैंen.wikipedia.org, पर उनकी शिक्षाएँ जीवन भर प्रभावशाली रहीं और आज भी नई पीढ़ियाँ उन्हें पढ़ रही हैं।
वॉटल्स ने अपने समय की नई और प्रगतिशील विचारधाराओं को अपनाया था। उन्होंने “विचार करने का निश्चित तरीका” (Certain Way) बताया, जिसके जरिए सकारात्मक सोच और आत्म-सम्मान को प्रबल किया जा सकता हैen.wikipedia.org। उनकी ये तकनीकें आज की आत्म-विकास (self-development), नेतृत्व और प्रेरणा देने वाली पुस्तकों से मेल खाती हैं।
निष्कर्ष एवं सिफारिश
वॉलस वॉटल्स की “द साइंस ऑफ गेटिंग रिच” हमें अमीरी के पीछे छिपी मानसिक और आध्यात्मिक ताकतों के बारे में गहराई से सोचने को प्रेरित करती है। इसकी मुख्य सीखें हैं:
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चिंतन की शक्ति: सकारात्मक सोच और स्पष्ट लक्ष्य बनाकर आप अपनी मानसिक सीमाएँ तोड़ सकते हैं।
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सृजनात्मक मानसिकता: प्रतिस्पर्धा की बजाय मूल्य-सृजन पर ध्यान देने से सभी को लाभ होता है।
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कृतज्ञता: आभार व्यक्त करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे जीवन में प्रगति तेज होती हैgutenberg.org।
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क्रियाशीलता: हर दिन के कार्यों को पूरी ईमानदारी से करें, क्योंकि छोटा काम भी बड़ी सफलता की कुंजी बन सकता हैgutenberg.org।
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विश्वास और दृढ़ निश्चय: धैर्य से अपने विज़न को पकड़े रहें; जैसे दो गुणा दो हमेशा चार होता है, वैसे ही यदि आप इन नियमों का पालन करेंगे तो अवश्य अमीर होंगेgutenberg.org।
वॉटल्स की पुस्तक अमीरी को केवल धन के रूप में नहीं, बल्कि जीवन के विस्तार के रूप में देखती है। वह मानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति में बेहतरी की चाहबुझ अंतर्निहित है, और सही सोच-विचार के साथ उसे साकार किया जा सकता है।
निष्कर्षतः, यदि आप अपने जीवन की दिशा सकारात्मक रखना चाहते हैं और समृद्धि हासिल करना चाहते हैं, तो “द साइंस ऑफ गेटिंग रिच” अवश्य पढ़ें। यह न केवल पैसे कमाने के तरीकों की व्याख्या करती है, बल्कि आपको आत्मविश्वास, कृतज्ञता और मानवीय मूल्यों से लैस कर एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देती है। वॉटल्स की यह पुस्तक युग-दर-युग ग्राहकों की उन्नति का ज्ञान सिखाती रही है और किसी भी दौर के पाठक के लिए सीखों से भरपूर है। इसे एक बार जरूर पढ़ें, क्योंकि यह दृष्टिकोण आपके जीवन को पूरी तरह बदल सकता है।
स्रोत: वॉलस डी. वॉटल्स की पुस्तक तथा संबंधित उद्धरणों के लिए Project Gutenberg (The Science of Getting Rich)gutenberg.orggutenberg.org, USA Todayen.wikipedia.org, Wikipedia और अन्य प्रकाशित संदर्भ।
पढ़ते रहिए, आगे बढ़ते रहिए।