Thursday, November 5, 2020

मेलुहा के मृत्युंजय | The Immortals of Meluha | Amazon Book Review in Hindi |

 मेलुहा के मृत्युंजय | The Immortals of Meluha | Amazon Book Review in Hindi |




दोस्तों,

   मनुष्य जब अपने जीवनकाल लोगों पर हो रहे अत्याचार के लिए लड़ता है। अपने कार्यों से लोगों को दुखों से मुक्त करता है और साथ ही समाज को दुष्ट प्रवृत्ति से बचाता है। तब लोग उस मनुष्य को पूजते है, उन्हें भगवान का दर्जा देते है। भगवान राम भी अपने कार्य से जाने जाते है। दोस्तो आज मै आपको ऐसे ही एक Mythology, fiction book के बारे आपको बताने वाला हु। किताब का नाम है-"मेलुहा के मृत्युंजय" (The Immortals of Meluha)|

मेलुहा के मृत्युंजय | The Immortals of Meluha | Amazon Book Review in Hindi |


   The Immortals of Meluha या "मेलुहा के मृत्युंजय" ये अमिश त्रिपाठी( Amish Tripathi) की लिखी हुई किताब है। अमिश जी ने अपने लेखन की शुरुवात अपने इसी किताब से की थी। अमिश जी की ये पहली किताब लोगों ने बहोत पसंद की और इसी के बाद उन्होने लेखक के ही विश्व में खुद को न्योछावर कर दिया।

   किताब की शुरुआत हिमालय की पहाड़ियों में होती है। जहां शिवा नाम के सरदार अपने गण जमात के लोगों के साथ रहते है। रोजमर्रा की हो रही लड़ाईयों से दूर अपने लोंगो के लिए वो मेलुहा प्रदेश में जाने का फैसला करते है। मेलुहा प्रदेश जहां सूर्यवंशी लोगों का राज है। वहां प्रवेश के बाद शिवा के साथ हुए अनपेक्षित बदलाव से लोग उन्हें भगवान मानने लगते है। पुराने कथन और विश्वास से लोग उन्हें अपना संरक्षक मानने लगते है। अयोध्या में रहनेवाले चंद्रवंशी लोगों के राज्य से सूर्यवंशी राज्य को धोका है, ऐसा सबका मानना था। अपने साथ हुए बदलाव और राज्य की परिस्थितियों को समझ कर वो सुर्यवंशी लोगों की और से लड़ने का, उनका संरक्षण करने का निर्णय लेते है। अपने अधिकार से समाज मे चल रही गलत परंपरा को बदलने में सफल होते है, लेकिन आखिर में लिए अपने फैसले पर उन्हें बाद में पछतावा होता है। बाद में भगवान शिव अपने निर्णय को ठीक करने का प्रयास भी करते है और सच की खोज करने का फैसला करते है।

   ये कहानी का पहला भाग है, जिसमे भगवान शिव और देवी सती को प्रेम कहानी भी दिखाई जाती है। इसके अलावा इस किताब को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ लिखा गया है। किताब में उपयोग की गई हर एक संज्ञा का वैज्ञानिक विश्लेषण भी किया गया। उस वजह से किताब में कही भी अतिश्योक्ति का प्रयोग नही दिखाई देगा। अपने पहले प्रयास में ही अमिश जी ने जो लेखनशैली दिखाई है, उससे आप मोहित ही रह जाएंगे। इस किताब में सती के कार्य की ज्यादा ध्यान नही दिया गया, बस ये एक कमी आप निकाल सकते है। जहां एक और सती एक कुशल योद्धा बतायी गयी है, वही दूसरी और उनके शौर्य को शब्दांकित नहीं किया गया है। लेकिन इसके बावजूद आपको ये किताब आखिर तक बांधे रखेगी।

   दोस्तो इस किताब को कई भाषाओं में लिखा गया है, आप इसे खरीदने के लिए - 

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   आशा करता हु आप जरूर किताब पढेंगे, आपको ये लेख कैसा लगा मुझे जरूर बताएं। साथ आप मुझसे जुड़ सकते है- 

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